hindisamay head


अ+ अ-

कविता

हर घड़ी

सुरजन परोही


घड़ी-घड़ी
देखते हैं - घड़ी
ना जाने
कौन-सी घड़ी
चाभी खतम?

घड़ी से जुड़ा रहा मन
हर घड़ी

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में सुरजन परोही की रचनाएँ